लेखनी कविता - कबीर की साखियाँ -कबीर

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कबीर की साखियाँ -कबीर  कस्तूरी कुँडली बसै, मृग ढूँढे बन माहिँ।  ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥  प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय।  राजा परजा जेहि रुचे, ...

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